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आखिर क्यों होती है विवाह में देरी



विवाह एक ऐसा अनुष्ठान है जो व्यक्तियों को एक सूत्र में बांधने का काम करता है। वह दो व्यक्ति को उस सूत्र में लंबे समय तक बांध कर रखते हैं, यदि ग्रहों की स्थिति आपके पक्ष में हो। बहुत से लोगों ने अपनी युवावस्था में ही विवाह कर लिया होगा। लेकिन जो आज के योग्य कुंवारे हैं वह विवाह के विकल्प की तरफ तब तक नहीं जाते हैं जब तक वह अपने रिश्ते को ठीक से निभाने के लिए तैयार नहीं हो जाते। जब कोई व्यक्ति परिपक्व हो जाता है, तो वह अपने जीवन में अपने लिए सही गलत का निर्णय करने में सफल हो जाते हैं और शायद अपने लिए सबसे उत्तम जीवन साथी भी चुनने में सफल हो जाता है। काफी हद तक यह सही भी है, लेकिन प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ऐसे प्रवृत्ति को बढावा नहीं देना चाहिए, क्योंकि इसके कारण उम्र से संबंधित वैवाहिक समस्या उत्पन्न हो सकती हैं या वह अपने विवाह का आनंद लेने में असमर्थ रहते हैं। विवाह में देरी/Delay in marriage या विवाह में समस्या को पिछले जीवन का अभिशाप है, जो इस जन्म में परेशान करता है। इस बात को सटीकता से जानने के लिए आपको आज के युवाओं की विवाह योग्य उम्र के बारे में पहले से बात करने की आवश्यकता है।

विवाह में देरी के कारण

ज्योतिष में जो विवाह में देरी के कुछ मुख्य कारण है, जिन्हें हम समझाने का प्रयास कर रहे हैं। नीचे ग्रहों के भाव, ग्रह, दशा और गोचर में बताया गया है, जिन्हें पढ़ने से विवाह में देरी के उपाय मिल सकते हैं।

1. विवाह भाव – जैसा कि ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले लोग जानते हैं कि विवाह के लिए सातवें भाव/Seventh house को पढ़ा जाता है। इसके बाद दूसरे और ग्यारहवें भाव का आकलन किया जाता है। दूसरा भाव परिवार को दर्शाता है और ग्यारहवां भाव बताता है कि क्या उसका साथी उसका सच्चा मित्र या हमदर्द बन सकता है या नहीं। ग्यारहवां भाव आपके कामनाओं पर भी नियंत्रण रखता है। पांचवें भाव को भी विवाह के संदर्भ में देखा जाता है कि क्या आप प्रेम के लिए विवाह करना चाहते हैं।

2. विवाह के लिए ग्रह – जीवनसाथी की भविष्यवाणी के लिए पुरुषों के संबंध में शुक्र और महिलाओं के संबंध में बृहस्पति ग्रह का आकलन होता है। इसके साथ साथ, हम दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी, सातवें भाव में ग्रहों की मौजूदगी, पांचवे भाव के स्वामी, और इन ग्रहों के नक्षत्र स्वामी को भी ध्यान में रखते हैं।

3. दशा – विवाह सफल हो सकता है, यदि विवाह को ग्रहों की दशा के समय कराया जाए। इसके बारे में आपको ऊपर बता दिया गया है।

4. गोचर – शनि और बृहस्पति का दोहरा गोचर/Dual transit पहले भाव को प्रभावित करता है, और सप्तम भाव या उनके स्वामी विवाह के समय की भविष्यवाणी करने में सहायता करते हैं।

उपरोक्त इन कारकों का एक संयुक्त अध्ययन विवाह में देरी/Delay in Marriage की समस्या के लिए निश्चित और समय-परीक्षणित समाधान प्रदान कर सकता है। यह सभी कारक विवाह में देरी के मुख्य कारण हैं।

अन्य संकेतक है जो विवाह में देरी का संकेत दे सकते हैं

ऊपर बताए गए कारकों के सिवा कुछ और भी संकेतक होते हैं, जो विवाह में समस्या का संकेत दे सकते हैं। यह सभी कारक विवाह में देरी के वास्तविक कारणों में से हैं, जिनका पता शोध के जरिए ही लगा है।

1. सूर्य और राहु की जोड़ी आपके विवाह की योजनाओं पर रोक लगा सकती है। यह और भी ज्यादा भयावह हो जाता है जब यह दोनों ग्रह आपके विवाह वाले भाव से मिल जाए।

2. मंगल और राहु की युति जब सातवें भाव में हो या सप्तम भाव के स्वामी पर दृष्टि हो, तो भी विवाह में समस्या आती है।

3. यदि सातवें भाव के स्वामी अष्टम भाव में हो और अष्टम भाव के स्वामी सातवें भाव में हो, तो विवाह में देरी होना निश्चित होता है।

4. पुरुष की कुंडली में शनि और मंगल की युति दिखाती है कि विवाह में बहुत सारी परेशानी उत्पन्न हो सकती है।

5. आपकी कुंडली में कुजा दोष/Kuja Dosh का होना विवाह में देरी का मुख्य कारण बन सकता है।

6. कुंडली में मंगल दोष की पुष्टि के लिए लग्न, चंद्रमा और शुक्र चार्ट का अध्ययन करना अनिवार्य है। यदि मंगल दोष एक से अधिक डिविजनल चार्ट में मौजूद हो तो यह विवाह में देरी का संकेत देता है।

मंगल दोष को निष्क्रिय करने के अनेकों तरीके हैं, लेकिन कुछ योग होते हैं जो अपने आप इस दोष को खत्म कर सकते हैं। हमें उन योग पर भी अपनी नजर बना कर रखनी चाहिए।

यह थे विवाह में देरी के कुछ संयोजन और कुछ को दूर करने के उपाय। हर बिंदु का समाधान अलग होगा, इसलिए किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले डॉ विनय बजरंगी जैसे वैदिक ज्योतिषी से परामर्श प्राप्त करें।

क्या कुंडली दोष को दूर किया जा सकता है

हां, ज्योतिष में कुछ उपकरण हैं, जिनके जरिए आप कुंडली दोष/Kundli dosh से दूर हो सकते हैं। जब भी ज्योतिषीय गणना हो, पिछले जीवन के प्रभाव, मंगल दोष की उपस्थिति और घर में किसके कारण विवाह में देरी हो रही है जैसे संकेतों पर ध्यान देना चाहिए।

इसके अलावा, ज्योतिषीय रूप से बच्चे की शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर, किसी गुप्त प्रेम संबंध, विपरीत लिंग के किसी विशेष सदस्य में अत्यधिक रुचि का अध्ययन किया जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टि से देख सकते हैं कि क्या व्यक्ति के मन में विवाह के संबंध में उच्च अपेक्षाएं तो नहीं हैं या विवाह में रास्ते का रोड़ा उसकी छिपी कमजोरी तो नहीं है।

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