Sun and Saturn in Capricorn: साल 2022 में 14 जनवरी के दिन सूर्य और शनि का मकर राशि में एक साथ आना एक महत्वपूर्ण समय होगा जहां शनि अपनी स्वराशि में होंगे और सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में उसी के साथ विराजमान होंगे. 29 वर्षों के बाद इस योग का निर्माण हो रहा है क्योंकि साल 1992 में भी सूर्य का मकर राशि में शनि के साथ युतिसंबंध बना था. ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य और शनि का एक साथ होना बहुत अनुकूल नहीं माना गया है. ग्रंथों के अनुसार सूर्य और शनि में पिता पुत्र का संबंध है लेकिन सूर्य देव के पुत्र शनि देव का एक दूसरे के साथ संबंध कई मामलों में उलझा हुआ और भय उत्पन्न करने वाला रहा है.
इन दोनों का एक साथ होना बहुत सी बातों में चिंता और डराने वाला होता है क्योंकि जब दोनों एक साथ होते हैं तो दोनों ही अपने अस्तित्व में काफी मजबूत होते हैं ऎसे में एक दूसरे के साथ होते हुए एक दूसरे की महत्ता को अपने से अधिक पसंद नही कर पाते हैं. जहां सूर्य अग्नि और तेज हैं वहीं शनि इनके विपरित छाया व अंधकार का मिश्रण हैं. सूर्य जहां सात्विकता है वहीं शनि तामसिकता को दर्शाते है, एक राजा है तो दूसरा दास है.
सूर्य और शनि का एक साथ होना मानसिक तनाव, वैचारिक मतभेद, संघर्श, असहमती, सरकार एवं जनता के मध्य असंतोष जैसे प्रभाव मुख्य रुप से दर्शाता है. इस समय तालमेल की कमी अधिक देखने को मिलती है. राष्ट्र, सामाज, राजनीतिक, भौगौलिक सभी क्षेत्रों में इस विपरित धारा को बहते हुए देखा जा सकता है. यह एक उथल उथल का समय होता है जो मुख्य रुप से सरकार एवं समाज के मध्य देखा जा सकता है.
सकारात्मक प्रभाव
मकर राशि में सूर्य का प्रवेश/Sun Enter in Capricorn होने पर सूर्य ओर शनि एक साथ होंगे तो ऎसे में यह सिर्फ नकारात्मक प्रभाव देंगे ऎसा बिलकुल भी नही है क्योंकि चाहे पिता-पुत्र में कितने भी मतभेद हों किंतु आत्मिक रुप से दोनों का जुड़ाव अटूट ही होता है. प्रत्येक वर्ष सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में अवश्य जाते हैं और ये समय अत्यंत ही विशेष शुभ योग भी माना जाता है और जिसे मकर संक्रांति/Makar Sankranti के रुप में देश भर में उत्साह के साथ मनाया जाता है. सूर्य का उत्तरायण बदलाव भी मकर राशि में ही आने पर होता है, मांगलिक आध्यात्मिक कार्यों का आगाज भी इसी समय के उपरांत से अनुकूल माना जाता है. संघर्ष द्वारा सफलता प्राप्त करने में सफल होते हैं, आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास का अवसर मिलता है. ज्ञान एवं परंपरा का अनुठा संगम होता है और नए विचार उत्पन्न होते हैं. नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है.
सूर्य और शनि युति उपाय देते हैं सुख एवं शांति का वरदान
सूर्य और शनि युति/ Sun and Saturn Conjunction संबंधों के दुष्प्रभाव को शांत करने हेतु मुख्य रुप से शिव अराधना अत्यंत उपयोगी उपाय माना गया है. भगवान शिव का पूजन शवलिंग पर जलाभिषेक करने से सूर्य-शनि युति के अशुभ प्रभाव स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
सूर्य शनि युति के बुरे प्रभाव को समाप्त करने के लिए हनुमान जी का पूजन भी उत्तम फलदायी माना गया है.
सूर्य-शनि युति के खराब प्रभाव को दूर करने के लिए रविवार के सूर्याष्टक स्त्रोत का पाठ एवं अर्घ्य देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है इसके साथ ही शनिवार के दिन शनिकवच का पाठ करने तथा पीपल के वृक्ष पर तेल का दीपक जलाने से भी अशुभ फल समात हो जाते हैं.
बड़े बुजुर्गों की सेवा एवं कमजोर वर्ग की सामर्थ्य अनुसार सहायता करने से भी सूर्य शनि युति के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
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