बहुत से युवा इस बात को जानने के लिए उत्सुक रह सकते हैं कि आखिर उनके जीवन में लव मैरिज है या फिर अरेंज मैरिज/Love or arrange marriage किसका योग है। कई सारे प्रेमी प्रेमिका भी यही चाहते हैं की उनका विवाह उसी से हो जिसको वह पसंद करते हैं। जन्म कुंडली में विवाह की स्थिति को सप्तम भाव/Seventh house से देखा जाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली से लव और अरेंज मैरिज के योग का पता लगाने के लिए सातवें भाव और उसके स्वामी की स्थिति का आंकलन किया जाता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो विवाह की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल साबित हो सकता है।इसके अतिरिक्त विवाह को दर्शाने वाले कुछ योग भी इसमें महत्वपूर्ण होते हैं।
कुंडली में सप्तम भाव एवं सप्तमेश/Seventh House lord की शुभ स्थिति का होना विवाह की शुभता को दर्शाता है। यदि कुंडली में लग्नेश व सप्तमेश का पंचम-पंचमेश के साथ किसी भी रूप से संबंध न हो रहा हो तो यह स्थिति अरेंज मैरिज को दर्शाती है और अगर इनका संबंध हो तो प्रेम विवाह होने की पुष्टि करने वाली होती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में बनने वाले शुभ योग विवाह के समय पर होने की स्थिति को दर्शाते हैं और विवाह भाव/Marriage house के साथ बनने वाले अशुभ योग एवं ग्रह विवाह में विलंब का कारण बन सकते हैं।
किसी जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग कई कारणों से बन सकता है। यदि जातक की कुंडली में पंचम भाव-पंचमेश, सप्तम भाव सप्तमेश, नवम भाव-नवमेश, लग्न भाव-लग्नेश का किसी प्रकार से संबंध बन रहा होता है, तो यह स्थिति प्रेम विवाह को दर्शाने वाली होती है। इसी के साथ कुछ ग्रहों का योग भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। जन्म कुंडली में मौजूद, शुक्र एवं मंगल का युति संबंध, दृष्टि संबंध प्रेम विवाह को दर्शाने वाला होता है। इसी प्रकार जब कुंडली के प्रेम भाव, विवाह भाव, लग्न लग्नेश का संबंध शुक्र मंगल के साथ बन रहा हो तो यह स्थिति जातक के जीवन में प्रेम विवाह होने की पुष्टि करती है। शुक्र ग्रह का सप्तम भाव एवं उसके भावेश के साथ होना, पंचम भाव या उसके स्वामी के साथ होना प्रेम विवाह की संभावनाओं को दर्शाने वाला होता है।
अरेंज मैरिज योग
कुंडली में द्वितीय भाव एवं भावेश, सप्तम भाव-भावेश, एकादश भाव-भावेश के साथ यदि सूर्य-चंद्र का संबंध बनता है तो ये स्थिति अरेंज मैरिज को दिखाती है। इसी प्रकार कुंडली में शुक्र यदि शुभ अवस्था में है और द्वितीय, चतुर्थ एवं नवम भाव के साथ अनुकूल स्थिति में है या संबंध बना रहा है तो अरेंज मैरिज के योग बनते हैं। कुंडली का दूसरा भाव कुटुम्ब को दर्शाता है, ऐसे में विवाह भाव, चतुर्थ भाव और सूर्य-चंद्र का संबंध इन सभी से होना परिवार की सहमति से होने वाले विवाह को दर्शाता है।
विवाह का समय
विवाह कब होगा जल्दी होगा या देर से होगा इन सभी बातों को लेकर यदि कोई सवाल है तो उस सवाल का जवाब जातक की कुंडली में ही मौजूद भी होता है। ज्योतिष में विवाह समय को बता पाना सहज होता है। किसी जातक की कुंडली में अगर सप्तम भाव एवं उसके स्वामी शुभ हैं और उन पर शुभता का प्रभाव बन रहा है तो जातक का विवाह सही उम्र में हो पाना संभव होता है। अगर कुंडली व नवांश कुंडली दोनों में विवाह भाव एवं भावेश शुभस्थ हो तो यह स्थिति विवाह का सुख जल्द प्रदान करने वाला होता है। विवाह भाव व भावेश पर शनि, मंगल, राहु केतु जैसे पाप ग्रहों का प्रभाव होने पर विवाह में विलंब की स्थिति बनती है।
जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के योग
कुंडली में लग्न-लग्नेश, पंचम-पंचमेश, सप्तम-सप्तमेश के साथ शुभ ग्रह चंद्रमा व शुक्र संबंध बना रहे हों और नवांश कुंडली में भी पंचम एवं सप्तम भाव का शुभ संबंध बनता हो तो व्यक्ति का प्रेम विवाह संभव होता है।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी यदि लग्न के स्वामी से मजबूत हो नवांश में उच्चस्थ स्थिति में हो तो जातक के प्रेम विवाह होने की शुभता को बल मिलता है।
प्रेम विवाह योग पंचम भाव का स्वामी अगर सप्तम भाव में हो और सप्तम भाव का स्वामी पंचम में हो तथा लग्न के साथ इन दोनों का संबंध बनता हो तो ये स्थिति प्रेम विवाह को दर्शाती है।
पंचम भाव और सप्तम भाव का स्वामी लग्नेश के साथ लग्न में स्थित हो तो प्रेम विवाह का योग बनता है।
विशेष - कुंडली में विवाह का योग कैसा है, विवाह कब होगा, विवाह अपनी इच्छानुसार होगा या नहीं इन सभी बातों का जवाब आपको ज्योतिष शास्त्र में मिल सकता है और एक अच्छा ज्योतिषी ही आपके प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होता है।
Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/love-marriage-yoga?
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